गांव की प्रथा का अंत|Fight for rights

ये कहानी वो कहानी है जिसमे सोनम ने अपने हक के लिए अपने परिवार और समाज से लड़ जाती है । गांव की प्रथा का अंत

गांव की प्रथा का अंत|Fight for rights

एक गांव होता है जहां प्रेम भावना एकता तो बहुत होती है लेकिन वहां पर लड़कियों पर अत्याचार भी हो रहा था वहां की औरते चाह कर भी आवाज नहीं उठा पा रही थी। क्युकी गांव में औरतों का बोलने का अधिकार नहीं था जो भी फैसले होते थे। वो सिर्फ और सिर्फ घर के व्यक्ति या गांव के मुखिया लेते थे। गांव में पीढ़ियों से एक प्रथा चली आ रही थी की बेटियों की शादी तेरह साल में ही कर दी जाती थी। और वह की औरते चाहकर भी नही आवाज नहीं उठा पाती थी इसी तरह ना जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी खराब हो चुकी थी ।

एक छोटी बच्ची का जन्म होता है मुखिया के यहां जिसका नाम सोनम रखा जाता है । धीरे धीरे सोनम थोड़ा बड़ी होती है और सोनम पड़ने और लिखने में बहुत अच्छी थी। गांव के मास्टर उसकी पढ़ाई देख कर बहुत ही खुश थे क्युकी पहले बार कोई लड़की इतनी अच्छी थे। सोनम स्पोर्ट भी खेलती थी दौड़ भाग में भी तेज थी। तभी आस पास के गांवों में एक प्रतियोगिता रखी जाती है जिसमे सिर्फ लड़कियां ही भाग ले सकती है । और प्रतियोगिता का शुभारंभ होता है ।

तीन दिन तक चली इस प्रतियोगिता में सोनम नंबर वन पे आती है उसने सभी खेलों में सबको पीछे कर प्रतियोगिता विनर अपने नाम करती है । अब विनर मेडल लेने का टाइम होता है इसी बीच गांव में आए नए थाना इंचार्ज उनको मेडल देने के लिए बुलाया जाता है तीन दिन चल रही इस प्रतियोगिता में सोनम को देख कर बहुत खुश थे क्युकी सोनम की कढ़ी मेहनत और कठिन परिश्रम को देख रहे थे । और मन ही मन सोच रहे थे की इस लडकी में काबिलियत है जो की आगे बहुत कुछ कर सकती है ।

फिर उन्होंने सोनम को मेडल दिया और उससे बाते भी किया सोनम को बताया कि जीवन में कभी भी हार नही मनाना चाहिए कुछ भी हो जाए कैसे भी परिस्थिति हो लड़ते रहना चाहिए मंजिल जरूर मिलेगी। और फिर जाते जाते उन्होंने सोनम को अपने घर का पता दिया और बोले जीवन में कभी भी तुमको मेरी जरूरत हो तो मुझे जरूर याद करना। फिर वह चले गए। अब सोनम तेरह साल की पूरी हो है थी। सोनम की शादी के बात चलती है सोनम सुनते ही बहुत गुस्सा होती है और अपनी मां से बोलती है की मुझे शादी अभी नहीं करना मुझे आगे पढ़ना है और कुछ बनना।

गांव की प्रथा का अंत|Fight for rights

लेकिन मां की घर में एक भी नही चलती है। फिर वह अपने पापा मुखिया जो थे उसने बात करती है की पापा मुझे अभी शादी नहीं करनी मुझे पड़ना है। लेकिन ये बात सुनते ही सोनम के पापा बहुत जोर से उसपे चिल्लाते है की ये प्रथा पीढ़ियों से चली आ रही और हमेशा चलती रहेगी। तुमको शादी करनी पड़ेगी। सोनम अब चुप होती है सोचती है की मैं क्या करू कैसे पापा को रुको। सोनम बहुत बोलती है लेकिन उसके पापा एक ना सुनते है।

अब सोनम घर में खाना पीना छोड़ देती है। वह कहती है की मैं शादी नही करूंगी और चाहे मेरी जान क्यू ना चली जाए। क्युकी उसने कुछ दिन पहले ही अपनी दोस्त को खोया था उसकी दोस्त की शादी तेरह साल की उम्र में कर दी जाती है जिससे की शादी के कुछ दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो जाती है । अब उनसे मन में ठान लिया थे की शादी मैं नहीं करूंगी इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े। इधर मुखिया भी जल्द से जल्द उसकी शादी करना चाह रहे थे।

अब सोनम की शादी पक्की कर दी जाती है और सोनम को जैसी ही इस बात का पता होता है वह घर से भाग जाती है

लेकिन उसके पापा मुखिया उसके डूंड निकलते है। अब सोनम का कोई साथ देने वाला नहीं होता है तभी उसको याद आता है जो नए थाना इंचार्ज आए थे। वह कैसे भी घर से निकल कर थाना पहुंचती है ।और वहां बताया जाता है की उनका तो ट्रांसफर हो गया है। सोनम ने फिर अपनी पूरी कहानी वहा के दूसरे आय हुए इंस्पेक्टर को बताती है। और मदत करने के लिए बोलती है लेकिन वह तो उसके पापा को बुला लेता है क्युकी उसको उसके पापा से पैसे मिल रहे होते है।

अब सोनम पूरी तरह से निराश हो जाती है उसके सामने कोई रास्ता नहीं दिखता है। और मन ही मन सोचती है की अब वह खुद को खत्म कर लेगी लेकिन शादी नही करेगी।उसके पापा उसको घर लेके आते है। उसे मरते भी है। उसकी शादी का दिन भी नजदीक आ रहा था धीरे धीरे तभी एक दिन अचानक से सोनम को थाना इंचार्ज का पता मिलता है जो उसने अपनी किताब में रख दिया था उसने उसी पाते पर एक चिट्ठी लिखती है सारी बाते उसमे लिख देती है और अपनी शादी को तारीख भी।जल्द से जल्द मदत के लिए बोलती है।

गांव की प्रथा का अंत|Fight for rights

चिट्ठी तो घर पहुंच जाती है लेकिन एतेफाक बस वो छुट्टी मानने के लिए निकल गए होते है। वो चिट्ठी घर का नौकर भी टेबल पर रख देता है ।इधर सोनम की शादी के तयारी चल रही थी ।और सोनम थाना इंचार्ज का इंतजार करती है। शादी के दो दिन पहले थाना इंचार्ज छुट्टी से घर लौटे थे और जैसे ही बैठे तभी नौकर ने बताया कि सर ये चिट्ठी आई थी जब आप छुट्टी पे थे। जैसे ही उन्होंने उसको खोला और पढ़ा उनके पैरों तले जमीन खिसक गई थी क्युकी उस लड़की के साथ बहुत गलत हो रहा था। अब वो तुंरत अपनी पूरी फोर्स लेके निकल लेते है ।

और रास्ते से वहा उस गांव के थाने में कॉल करते है लेकिन वह उनकी बात नही सुनता है। उनको डर था की पहुंचने से पहले लडकी कुछ ना कर ले क्युकी उसने लिखा था चिट्ठी में अगर वह नहीं पहुंचते है तो वह खुद को खत्म कर लेगी।अब दूसरा दिन शुरू हो जाता है। और बारात आ जाती है। और फिर सारे कार्यक्रम शुरू हो जाते है । तभी लडकी को बुलाया जाता है। जैसे ही लडकी आती है किसी को पता नहीं होता है ।

उसके हाथ में ज़हर की पुड़िया होती है। उसने सोच रखा था की इसको खा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेगी लेकिन उधर सर का इंतजार भी था। उसने जैसे ही जहर खाने के लिए सोचा वैसे ही पीछे से आवाज आती है सोनम मैं आ गया हू तुमकों कुछ नही होगा जैसे ही सोनम पीछे देखती है वो और कोई नहीं बल्कि थाना इंचार्ज थे उसकी उम्मीदें फिर से अब जाग चुकी थी ।

गांव की प्रथा का अंत|Fight for rights

अब वह इतनों दिनों के बाद मुस्कुराई थी ।अब क्या सभी को पकड़ लिया गया और थाने लेके गए उधर थामे में इंस्पेक्टर को बात ना मानने के लिए और रिश्वत लेने की जुर्म में ड्यूटी से निकाल दिया जाता हैं। अब मुखिया और पूरे गांव को समझाया गया की यह कितना बड़ा पाप है। अब मुखिया और गांव वालो की समझ में आ चुका था की हम इतने सालो से कितना बड़ा पाप कर रहे थे सबकी आंखों में पश्चताप के आंसू थे। सोनम की बहादुरी को इंचार्ज सलाम करते है। और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते है l फिर वह वहां से चले जाते है ।

अब सोनम को एक बात समझ आ चुके थी की कैसे भी परिस्थिति हो लेकिन हौसला नहीं टूटना चाहिए और लड़ते रहना चाहिए सफलता एक ना एक दिन जरूर मिलेगी सोनम के इस काम से गांव के सभी लडकियो का जीवन खुशहाल बन गया था।अब इस प्रथा का अंत हो गया था ।और सभी बहुत खुश थे। और सभी लड़कियों को अब आजादी मिल गई थी ।

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