कर्मो का फल

हमारे समाज में कुछ लोग ऐसे लोग भी है जो दूसरो को गलत रास्ता और बुरी संगत की लत लगाने में सबसे आगे होते है। कर्मो का फल

कर्मो का फल

एक गांव में रमेश नाम का एक व्यक्ति होता है।जो की बहुत ही चालक होता है। उसने गांव और आस पास के गांवों के लोग उससे बहुत परेशान थे उसने वहां के लड़को को बुरी आदत और जुआ की लत लगा दिया था कोई भी लड़का हो गांव में उसको वह जुआ और बुरी आदत में धकेल देता था। गांव के लोग उसको इसी लिए पसंद नहीं करते थे। वह लड़को को पहले अपने रुपए से खिलाता था जुआ उसके बाद जब आदत लग जाती थी।

वह फिर रुपया देना बंद कर देता था। फिर उनको मजबूरी में कहीं से रुपया लेकर खेलते थे इसके लिए वह चोरी मारपीट सब कुछ करते थे। और साथ ही साथ रमेश सभी को नसे का आदी भी बना देता है।अब रमेश की शादी हो जाती है। लड़की बिंदिया के साथ कुछ दिन बीत जाने के बाद रमेश को बाप बनने की खुशी मिलती हैं वह बहुत खुश होता है। थोड़े दिन बाद बिंदिया ने एक लड़के को जन्म देती है। जिसका नाम अंश होता है।

अब अंश धीरे धीरे बड़ा होता है। और वह अब चौदह साल का हो जाता है। अंश के पिता उसको एक डाक्टर बनाना चाहते है। और गांव में अपना नाम रोशन करना चाहते है। अपने बेटे को सबसे अलग रखते है। अंश के स्कूल में एक लड़का होता है जो जिसका नाम वीरू होता है। एक दिन। रास्ते में आते समय वीरू अंश से बोलता है की चलो दूसरे रास्ते से चलते है। वह रास्ता थोड़ा जंगल होके जाता है अब दोनो चल देते है उसी रास्ते में जुआ हो रहा होता है।

कर्मो का फल

वीरू रुक जाता है। देखने के लिए और अंश को भी रोक लेता है और वीरू जुआ में कुछ रुपया लगता है अंश उसको मना करता हुआ लेकिन वीरू बोलता है कुछ रुपया मिल जायेंगे तो खर्चा करेंगे। वह अब रुपए जीत जाता है दोनो बहुत मस्ती करते है खूब खाते है। और फिर घर पहुंचते है।अंश के पिता उससे पूछते है की इतनी देर कैसे हो गई अंश झूठ बोल देता है की आज देर से छुट्टी हुई है। अब दूसरे दिन भी वही सब होता है और आज अंश को भी वीरू रुपया देता है लगाने को अंश पहले मना करता है लिकन बाद में खेलने लगता है दोनो रुपया जीत रहे थे।

अब धीरे धीरे पूरे गांव में यह बात पता होने लगी की रमेश का बेटा भी जुआ खेलने लगा ये बात सुन कर लोग बहुत ज्यादा खुश थे। क्युकी रमेश दूसरो ने सभी बच्चों की लाइफ खराब की थी आज उसके बेटे को जुआ खेलते देखकर लोग खुश थे। अब यह रोज का हो गया था वह रोज छुट्टी के बाद जुआ खेलता उसके बाद घर आता है। रमेश एक दिन स्कूल पहुंच जाता है और देखता है। की छुट्टी तो टाइम से हो गई थी फिर इतनी देर से क्यू आता है। वह उन दोनो के पीछे पीछे जाता है और देखता की दोनो जुआ खेलने लगते है।

कर्मो का फल

रमेश को अब बहुत बड़ा झटका लगता है की ये कैसे हो सकता है। वह इतना गुस्सा होता है की वही पे अंश को मरने लगता है।और वीरू को बोलता है की तुमने ही मेरे बेटे को जुआ खेलना सिखाया है। इतने में वीरू के पिता आ जाते है बोलते है की तुमने सारे गांव और आस पास के गांव के लड़को को जुआ खेलना सिखाया साथ ही धूम्रपान करना सारे लड़को की जिंदिगी बरबाद कर दी। और आज अपने लड़के को करते देख कर बहुत गुस्सा आ रहा है। ये गुस्सा तब कहा था जब दूसरो को सीखा रहे थे।

आज तुम अपने लड़के के लिए बहुत परेशान हो रहे है और उसको अच्छा बनाना चाहते हो। वीरू का पिता या भी बोलता है की मैंने ही अपने बेटे को रुपए दिए थे ताकि तुम्हारे बेटे को भी इन सबका आदी बना सके। तब रमेश पूछता है ऐसे क्यू किया तब वीरू का पिता बताता है की तुमने मेरे बड़े बेटे की लाइफ को बरबाद कर दिया।आज वह सिर्फ जुआ नशा मारपीट बस यही करता है सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी वजह से मेरा बढ़ा बेटा आज नसे में पढ़ा राहेता है। मुझे कितना दर्द हो रहा होगा।

कर्मो का फल

तब रमेश की आंखों में पश्चताप के अंशू थे वह अपनी गलती की माफी पूरे गांव से मांगता है। और वह सब कुछ बंद करने को बोलता है की आज के बाद कभी भी गांव में अब जुआ और ना ही शराब कुछ भी नहीं होगा। अब गांव वाले सभी खुश थे की सब कुछ बंद हो जायेगा और उनके बच्चे भी पढ़ेंगे और उन्नति करेंगे। और रमेश अपने बेटे से भी माफी मांगता है। फिर अंश अपने पिता से बोलता है की मुझे माफ कर दीजिए जो भी मैने किया उसके लिए। अब कभी भी लाइफ में ऐसा दुबारा नहीं होगा। अब पूरे गांव में सभी लोग बहुत खुश थे।

जीवन में कभी भी दूसरे के लिए गलत नहीं सोचना चाहिए क्युकी हम जो दूसरे के लिए करते है या सोचते है। वही हमारे सामने एक ना एक दिन आता है।

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