अत्याचार की कहानी

कहानी बहुत पुरानी प्रथा और पाबंदी के खिलाफ अपने हक के लिए लड़ते एक परिवार को प्रदर्शित करती है एक बेटी की कहानी।अत्याचार की कहानी

अत्याचार की कहानी

एक गांव होता है और वह पे दो बहने होती है बड़ी का नाम रूपा और चोटी का नाम सोनम होता है घर में उनके माता पिता और एक भाई होता है जो की बहुत गरीब होते हैं। रूपा का भाई रवि एक लड़की से प्यार करता है और वह लड़की बहुत अमीर घर की होती है। एक दिन दोनो को मिलते हुए उसके घर वाले देख लेते है। और तब रूपा के घर के लोगो को बुलाया जाता है सारे गांव के सामने सभा होती है। जिसमे रूपा के घर वालो को बहुत गरीब होने और नीची जाति के कारण उनको सबके सामने सिर पे जूते रखे जाते है।

वही पे एक ऐसा भी व्यक्ति था जो इन सब बातो को नहीं मानता था ना ही गरीबी ना ही नीची जाति वह बस शिक्षा और पढ़ाई को मानता है। जिसका नाम केशव होता है। अब रूपा के घर वाले सब माफी मांगते है। और दुबारा ऐसा ना करने को बोलते है। लेकिन कुछ दिन बाद ही रूपा का भाई उसी लड़की को लेके भाग जाता है अब लड़की के घर वाले रूपा के घर वालो से बोलते है की तुम उन लोगो को बुला लो हम उनकी शादी करा देंगे। तब उनको बुलाया जाता है।

अत्याचार की कहानी

वह दोनो आ जाते है। उसके दूसरे दिन ही उनकी शादी होती है तभी शादी के समय रूपा के भाई और उनके पूरे परिवार को मार दिया जाता है लड़की के घर वाले ये बिलकुल नहीं चाहते थे की उनकी समाज में इज्जत खराब हो इसी लिए ये सब प्लान करते है। और सबको मार देते है। रूपा वहां से भागने में सफल हो जाती है। अब रूपा भागते हुए बचने के लिए उसी घर में जाती है जिस घर में केशव था। केशव आर्मी से निकला गया था। उसके गुस्से के कारण ।

फिर वह रूपा को बचा लेता है लेकिन सभी लोग अब रूपा और केशव को मारने के लिए उनके पीछे पड़ जाते है केशव रूपा को लेके भागने लगता है। और रूपा को ट्रेनिंग देता है लड़ने की रूपा को सब कुछ सीखता है अब रूपा ने सोच लिया था मुझे लड़ना है कैसे भी फिर रूपा और केशव एक दिन गांव पहुंच के उनके बेटे जो की उसने सारे परिवार को मारा था उसको मार देते है फिर और फिर वह अदालत जाते है । इंसाफ के लिए क्युकी थाने में उनकी सुनी नहीं जा रही थी।

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अब लड़की के घर वाले मारने के लिए निकल लेते है। अब इधर रूपा और केशव अदालत पहुंचे ही थे की पीछे से गोलियां चलने लगती है। रूपा और केशव खुद को बचाते है।और फिर दोनो सबसे लड़ते है। इसी बीच रूपा को बचाने में केशव को गोली लग जाती है। तभी केशव बोलता है की मैं इन लोगो को रोक रहा हूं तुम जल्दी से जज साहब के पास जाओ और उसने मिलो जाके।

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रूपा वहां से भागती है। और जज साहब को ढूंढती है। इतनी गोली बारी के बीच जज साहब मिलते है। और रूपा अपनी शिकायत दर्ज कराती है। और इधर केशव उन लोगो से खूब लड़ता है लेकिन केशव अपने आप को नहीं बचा पता है और केशव की मृत्यु हो जाती है। लेकिन केशव ने अपना काम कर दिया था रूपा को उसकी मंजिल तक पहुंचा दिया था। अब जज साहब ने जितने भी मुजरिम थे उन सबको कड़ी से कड़ी सजा सुनाते है। और रूपा को न्याय देते है।

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